
दुनिया जिसे कहते हैं जादू का ख़िलौना हैं
मिल जाये तो मिट्टी हैं खो जाये तो सोना है
अच्छा सा कोई मौसम तन्हा सा कोई आलम
हर वक़्त का ये रोना तो बेकार का रोना हैं
बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने
किस राह से बचना हैं किस छत को भिगौना हैं
ग़म हो कि ख़ुशी दोनो कुछ देर के साथी हैं
फिर रास्ता ही रास्ता हैं हंसना है ना रोना हैं
दुनिया जिसे कहते हैं जादू का ख़िलौना हैं............
No comments:
Post a Comment